Thursday, 11 September 2014

प्रभात 44

आज  जब  फिर  जिंदगी  मुझसे  मिलने  आई
मैं  भी  उठ  कर  आगे  बढ़  गई,  बाहें  फैलाई
उसने  नर्म,  मजबूत  हाथों  से  थामा  मुझे
कहा- चल  उठ, पोंछ  अश्रु,  अब  आगे  चलें
शुभ  प्रभात,  शुभ  दिवस
 
 
१०.५६ प्रातः ,१२ नवम्बर,२०११ 

aaj jab fir jindagi mujhse milne aayi
mai bhi uth kar aage badh gai bahein failaee
usne narm majboot hathon se thaama mujhe
kaha-'chal uth, ponchh ashru ab aage chalein'
shubh prabhat , shubh diwas

Tuesday, 11 February 2014

प्रभात 43

सूर्य  रश्मियों  ने  धरा  को  छुआ
धरा  में  जीवन  पुनः  जागृत  हुआ
विश्वास  ने  हृदय आंगन  को  जब  छुआ
हृदय आंगन  में  आशा  का  संचार  हुआ
शुभप्रभात
  

3-11-2011


surya rashmiyon ne dhara ko chhua
dhara mein jeevan punah jagrit hua
vishwas ne hriday aangan ko jab chhua
hriday aangan mein aasha ka sanchaar hua
shubhprabhat

Thursday, 23 January 2014

प्रभात 42

किसी  के  जाने  से  दुनिया  वीराना  नही  बनती
होने  से  उनके  वीरानों  में  बहार  आ  जाती  है
फूलों  के  खिलने  से,  हाँ सवेरा  तो नही  होता
किन्तु  सुगन्धित  पुष्पों  से  दिन जरुर  संवरता
शुभ   प्रभात 


2-11-2011

kisi ke jaane se duniya veerana nhi banti
par hone se unke viranon mein bahar aa jati hai
phoolon ke khilne se haan savera to nhi hota
kintu sugandhit pushpon se din jarur sanwarta
shubh prabhat

Thursday, 3 October 2013

प्रभात 41

मन आंगन में पड़ी स्नेह वर्षा फुहार
खिली उठी धरा, खिला मन का संसार
आया नव दिवस लिए फिर स्वपन हजार
आओ प्रीत से ले आयें हर जीवन में बहार
शुभ मंगल प्रभात शुभ दिवस
11.52am, 15 jan 2012

man aangan mein padi sneh varsha fuhar
khil uthi dhara, khila man ka sansar
aaya nav diwas liye fir swapn hajar
aao preet se le aayein har jeevan mein bahar

shubh mangal prabhat

Thursday, 4 July 2013

प्रभात 40


ऊषा  ने  पलकें  खोली
धरा  बांवरी  सी  डोली 

हवा  मतवाली  सी  हो  ली
फूल, कलियों  डोल  के  बोली
उठ  जा  अब  तू  बहुत  सो  ली

usha ne palkein kholi
dhara banwri si doli
hawa matwali si ho li
phool, kaliyon dol ke boli
uth ja ab tu bahut so li

11.52 am