Friday 6 July, 2012

प्रभात 36


फैली  चहुँ  ओर  सूरज  की  लाली
लुभा  रही  प्रकृति  की  छटा  निराली
खिल  गयीं  देखो  नन्ही  कलियाँ
उठ  भी  जाओ  अब  मेरी  मुनिया
शुभ  प्रभात  

27-10-2011
 
faili chahun or suraj ki lali
lubha rahi prakriti ki chhata nirali
khil gayin dekho nanhi kaliyan
uth bhi jao ab meri muniya
shubh prabhat

2 comments:

  1. "उठ भी जाओ अब मेरी मुनिया "
    बहुत खूब,,अतिसुंदर |

    मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो बस एक झलक-"मन के कोने से..."
    आभार..|

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