फैली चहुँ ओर सूरज की लाली
लुभा रही प्रकृति की छटा निराली
खिल गयीं देखो नन्ही कलियाँ
उठ भी जाओ अब मेरी मुनिया
शुभ प्रभात
27-10-2011
faili chahun or suraj ki lali
lubha rahi prakriti ki chhata nirali
khil gayin dekho nanhi kaliyan
uth bhi jao ab meri muniya
shubh prabhat
"उठ भी जाओ अब मेरी मुनिया "
ReplyDeleteबहुत खूब,,अतिसुंदर |
मेरा ब्लॉग आपके इंतजार में,समय मिलें तो बस एक झलक-"मन के कोने से..."
आभार..|
अतिसुंदर
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