Monday, 31 October 2011

प्रभात 14


ह्रदय की कलुषता बिखर बिखर रही है
भावों की उज्ज्वलता कालिमा मिटा रही है
प्राची से वो दिवाकर ने दिवस उदित किया
जग की कालिमा को उजालों में विलीन किया
शुभ प्रभात

September 29 at 9:40am

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